
भोपाल. कोरोना के कारण एमपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की वार्षिक परीक्षाएं रद्द हो गईं और मूल्यांकन के आधार पर मार्कशीट तैयार की जा रही हैं। ऐसे में अब परीक्षा फीस का मुद्दा उठने लगा है। एमपी बोर्ड के पास दसवीं और बारहवीं की परीक्षा शुल्क के रूप में करीब 180 करोड़ रुपए जमा हैं।
5000 रुपये बसूली गई छात्रों से लेट फीस
अभिभावक कहते हैं कि जब परीक्षाएं नहीं हुईं तो फिर किस बात का परीक्षा शुल्क। सरकार को शुल्क वापस करना चाहिए। सरकार परीक्षा फीस वापस करने को तैयार नहीं है। पालक संघ अब इस मामले में ज्ञापन सौंपेने सहित सरकार पर फीस बापसी के लिए दबाब बनाने की कोशिश कर रहा है।
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सरकार तो परीक्षा की तैयारी में थी स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि शुल्क वापस करने पा समायोजन का सवाल ही नहीं है। सरकार परीक्षा कराने तैयार थी, लेकिन बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए रद्द की है। प्रश्न-पत्र और उत्तर पुस्तिकाएं छप चुकी हैं। केंद्र बनाने की व्यवस्थाएं भी हो चुकी थीं। मार्कशीट भी छप रही हैं।
गड़बड़ी का खमियाजा
संघ ने कहा कि बोर्ड के सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी का खमियाजा छात्रों ने उठाया है और उनसे दो हजार से पांच हजार रुपए तक लेट फीस भी वसूली गई। अब छात्रों के परिजन बोर्ड को दी गई फीस की मांग कर रहे हैं। परिजनों का कहना है तब परीक्षा ही नहीं हुई तो फीस बापस होनी चाहिए।
Published on:
15 Jun 2021 11:12 am
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